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View compareEARLIER THIS WAS A 6 VOLUME BOOK now compiled into one single book शिव तन्त्र संहिता तन्त्र एक शुद्ध वैज्ञानिक प्रकिया है । प्रस्तुत शिव तन्त्र संहिता में विभव-पार्वती संवाद के रूप में त्तन्त्र की साधनाओं में षटुता ग्राप्त करने का रहस्य बताया गया है। इम पुस्तक में न्यान-स्थान पर यन्त्र जाय बतलाया गया है, यह भी साधना ही है । इस ग्रन्थ में शिवजी ने ब्रह्मज्ञान और हठयोराक्रिया राजयोनामहित उत्तम सरल रीति से उपदेश किया है । इसमें संमार के उपकार हेतु शिवजी ने श्रीपार्बतीजी के यवनों का उत्तर देते हुए योगोपदेश दिया है । प्रस्तुत पुस्तक में काप्य प्रयोग का भी विस्तृत वर्णन है । काप्य प्रयोगों में गुप्त अंगों के खाल है चांदी के खाल हैं ज्ञानि की उजली के नख हैं तलवों में लगे वस्त्र आदि विशेष कारगर होते है। मारण, उच्वष्टन, विद्वेषण की क्रिया के पझचात्स्राघक को प्रायश्चित कर्म करना चाहिए, अन्यथा स्वयं की जान यर भी खतरा होता है । इससे पूर्व सुरक्षा कर्म भी अवश्यक है । वशीकरण कर्म तभी सपल्ल होता है, जब ऐसा चाहने जाना साध्य का परिचित हो, अन्यथा बहुत समय और परिश्रम लगता है । हमने अपनी इस पुस्तक में अनावश्यक विस्तार न करके साधना में आने जाली सभी आवश्यक बातों को इतने सूक्ष्म व सरल ढंग से समझाया हैकि साधक इस प्रकार को विद्याओं को ग्रहण कर अपना औरज़रूरत्तमन्हीं का कल्याणकर सके । त्तात्रिक अनुचरों के प्रयोग के लिए योग्य गुरु की अत्यन्त आवश्यकता होती है 1 इसलिए पाठकों से निवेदन हैकि केवल पुस्तक के आधार यर किये गये त्ताचिंक अनुष्ठान के विपरीत परिणाम के लिएलेखक हैं प्रकाशकएवं तत्सम्बन्धी कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से उत्तरदाबीनहीं होगा ।